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बस कुछ ही दूर …..

सांस्कृतिक आयाम
सांस्कृतिक आयाम
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कृपया उपर्युक्त विडियो में मेरे द्वारा सुरबद्ध गीत का आस्वादन अवश्य करें|

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बस कुछ ही दूर है तेरे घर से घर मेरा,

पर फ़ासला जो तय करना है मेरे दिल से दिल तेरा;

तेरे मेरे बीच हैं बस इतनी दूरियां,

इक पीपल का पेड़ है और थोड़ी मजबूरियां;

तेरे मेरे बीच हैं…..


गुज़र गए दिन इतने कुछ भी न हो सका,

पाने को कुछ भी न था,ना कुछ मैं खो सका,

तेरातसव्वुर और ख़यालात हैं तेरे,

कोई ज़ाना जैसे मिला हो गड़ा गहरे;

तेरे मेरे बीच हैं…..


क्या-क्या न जान लिया, जाना है यूँ तुझको,

जाना बहुत तुझे जाना, ये गुमां है मुझको,

काश तू ये जान सके, क्या-क्या मैंने जाना है,

और तू भी मान ले जो, मैंने तुझको माना है;

तेरे मेरे बीच हैं…..


अब उस पल का बस मुझे इंतज़ार है,

जब कर सकूँ मैं बयां मुझे तुझसे प्यार है,

हो यक़ीं तुझको भी तू भी करे ले ये इक़रार,

जितना प्यार मुझको है, तुझको भी है उतना प्यार;

तेरे मेरे बीच हैं…..

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जाना = महबूबा

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सूचना: यह गीत एवं इससे आबद्ध सभी सामग्री – जैसे की धुनरचित गीत और चित्र, लेखक द्वारा स्वरचित एवं अधिकृत हैं एवं बिना अनुमति इनका किसी भी रूप में उपयोग वर्जित है|

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