सांस्कृतिक आयाम
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बम-बम लहरी,बम-बम लहरी,
तू ही नाशक,तू ही प्रहरी;
—
कैलाश के उत्तुंग शिखर,
तुम खिले पुष्प हम हुए भ्रमर,
तुम पर ही अब दृष्टि ठहरी;
बम-बम लहरी…
—
यहतेरा ही प्रताप है,
मिट गए सब विलाप हैं,
तुझसे भक्ति हुई गहरी…
बम-बम लहरी…
—
तू ही था पहले तू ही बाद,
गूंजा था जब वह शंखनाद,
ताण्डव से सारी सृष्टि सिहरी;
बम-बम लहरी…
—
तू परमब्रह्म, तू रत्नाकर,
तेरी यह प्रेम सुधा पाकर,
धन्य हुई काशी नगरी;
बम-बम लहरी
—
काशी का कंकर शंकर है,
क्रोधित तो रूद्र भयंकर है,
दस दिश उसकी आभा बिखरी;
बम-बम लहरी
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