सांस्कृतिक आयाम
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राज कर रहे आज देश पर
सत्ता का अभिमान छोड़ दो,
हथकंडे-तरकीबें अपनी और
हर साज़ो सामान छोड़ दो,
देख रहे जो दिन में सपने
उनको ऐ बेईमान छोड़ दो,
समझ रहे हो हमको भोला
तुम ये भूल नादान छोड़ दो,
हैं करते आगाह तुम्हें तुम
ज़हरीली ये ज़बान छोड़ दो,
बहुत उजाड़ा तुमने इसको
यह पुष्पित उद्यान छोड़ दो,
फूट डाल कर लूटोगे फिर
ऐसा हर अरमान छोड़ दो,
निकलो-भागो, लौट के जाओ
मेरा हिन्दुस्तान छोड़ दो;
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