सांस्कृतिक आयाम
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न हो सका ख़ुशी में शामिल तो मलाल नहीं
शुक्र है ग़म तो किसी का मैं यहाँ बाँट सका;
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बड़ी तवील सी है ज़िंदगी जो ख़त्म ना हो
तन्हाईयों का ये वक़्त न मैं काट सका;
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सारे दुःख-रंज मुझे छोड़कर चल दिए रस्ते
सारी दुश्वारियों को जी भर के आज डाँट सका;
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खड़े ज़िंदगी के चौक पर सोचा तो पाया उम्र से इस
हूँ ख़ुशनसीब जो कुछ अनमोल लम्हे छांट सका;
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वो मेरा दोस्त था क़रीब फिर भी दूर बहुत
जो फ़ासिले थे दरमियाँ न उन्हें पाट सका;
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आज हूँ तंगहाल-तंगदस्त क्यूँ, जानते हो?
मेरा ख़ुद्दार ज़मीर तलवे कभी न चाट सका;
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तवील=लंबी; तंगदस्त=हाथ तंग होना/रुपये-पैसे न होना;
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