Menu
blogid : 3669 postid : 975

“तुम कहाँ चले गए?”

सांस्कृतिक आयाम
सांस्कृतिक आयाम
  • 22 Posts
  • 2102 Comments

शब्द के मोती भाव-लड़ी में आज पिरो कर लाया हूँ

हृदय पुष्प की वास में भीगा गीत सुनाने आया हूँ

**

**

फिर से क्यूँ आ गया है, ये मौसम अजीब सा,

वो हो गया है दूर जो था क़रीब सा,

तुम कहाँ चले गए – तुम कहाँ चले गए;

**

अब तो है ऐसा लगता, मैंऽऽ हूँ कहीं,

दिल है कहीं मेरा और, मेरे पास कुछ नहीं,

तुम कहाँ चले गए – तुम कहाँ चले गए;

**

जाने क्यूँ मुझको अब भी, होता है ये एहसास,

जितनी भी दूर जाता हूँ तुम आते हो उतना पास,

तुम कहाँ चले गए – तुम कहाँ चले गए;

**

नज़रों से होके गुज़रे, कितने हसीं मगर,

कैसे करूँ बयां के, तुम दिल में गए उतर,

तुम कहाँ चले गए – तुम कहाँ चले गए;

**

===========================================

कृपया रचना का वास्तविक आनंद उठाने के लिए संलग्न विडियो में मेरे स्वर में गीत अवश्य सुनें.

सूचना: यह गीत एवं इससे आबद्ध सभी सामग्री लेखक द्वारा स्वरचित एवं अधिकृत हैं एवं बिना अनुमति इनका किसी भी रूप में उपयोग वर्जित है|

© & (P) सर्वाधिकार सुरक्षित All Rights Reserved

hamarivani.com

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply to Mahendra Kumar AryaCancel reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh